कंप्यूटर का इतिहास (Computer History in Hindi)

नमस्कार दोस्तों, यह तो आपको पता ही होगा कि कंप्यूटर आज हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस अद्भुत तकनीक की शुरुआत कैसे हुई? अगर आप कंप्यूटर का इतिहास (Computer History in Hindi) के बारे में जानने के इच्छुक हैं, तो यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए है। यहां आप शुरुआती कंप्यूटिंग उपकरणों जैसे Abacus, Napier Bones, और Pascaline से लेकर आधुनिक कंप्यूटरों तक के विकास की पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे।

इस लेख में हम आपको कंप्यूटर की पाँचो पीढ़ियों के बारे में भी विस्तृत जानकारी देंगे। आप जानेंगे कि कैसे इन पीढ़ियों ने कंप्यूटर तकनीक को एक नया आकार दिया और जिससे हमारे दैनिक जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आए।

तो अगर आप भी कंप्यूटर के विकास की इस रोमांचक यात्रा को समझना चाहते हैं और इसके इतिहास के महत्वपूर्ण मील के पत्थरों के बारे में जानना चाहते हैं, तो इस ब्लॉग पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।

तो आइए, आपके समय की महत्वता को समझते हुए सीधे इस ब्लॉग पोस्ट कंप्यूटर का इतिहास (Computer History in Hindi) के महत्वपूर्ण विषयों पर बड़ते है:

कंप्यूटर इतिहास के शुरुआती कंप्यूटिंग उपकरण

प्राचीन काल में जब कंप्यूटर नहीं थे, तब उस समय के लोग जिन्हें आदिम कहा जाता था गिनती यानी Calculations करने के लिए पत्थरों, लकड़ी और हड्डियों का इस्तेमाल औजार के रूप में करते थे।

जब हम कंप्यूटर का इतिहास के बारे में पढ़ते हैं तो हमें पता चलता हैं कि समय बीतने के साथ, जैसे-जैसे मानव मस्तिष्क और टेक्नोलॉजी दोनों में सुधार हुआ, तब से तकनीकी अनुसंधान कंपनियों के बीच नए कंप्यूटिंग डिवाइस विकसित करने की होड़ मच गई।

तो आइए, अब एक-एक करके कंप्यूटर के इतिहास के शुरुआती कंप्यूटिंग उपकरणों के बारे में जानते हैं:

1. अबेकस (Abacus)

कंप्यूटर का इतिहास अबेकस (Abacus) नामक उपकरण से शुरू होता है, जिसका आविष्कार चीनी वैज्ञानिकों ने करीब 4000 साल पहले किया था। यह एक आयताकार लकड़ी का रैक था जिसमें धातु की छड़ें और मोती (गेंदें) लगे होते थे। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से गिनती और संख्याओं की गणना के लिए किया जाता था।

कंप्यूटर का इतिहास हमें दर्शाता हैं कि आज भी अबेकस का उपयोग चीन, रूस और जापान जैसे विभिन्न देशों में शिक्षा (माध्यमिक और उच्च शिक्षा) के क्षेत्र में किया जाता है। इसका मुख्य उपयोग छात्रों को Mathematical Equations को आसानी से समझाने के लिए किया जाता हैं।

अबेकस (Abacus) की इमेज, जो एक प्राचीन गणना उपकरण है।
अबेकस (Abacus)

2. नेपियर बोन्स (Napier’s Bones)

नेपियर बोन्स scotland के merchiston के John Napier द्वारा विकसित की गई एक Calculation करने वाली Machine थी। यह संख्याओं के गुणनफल और भागफल की गणना करने में सक्षम थी। नेपियर ने 1617 में अपने उपकरण का पहला संस्करण प्रकाशित किया। गणना करने के लिए, इस उपकरण में 9 अलग-अलग हाथी दाँत की हड्डियों का इस्तेमाल किया गया था, जिन पर गुणन और भाग के लिए संख्याएँ लिखी हुई थीं।

यह दशमलव बिंदु प्रणाली का उपयोग करके गणना करने वाली कंप्यूटर इतिहास (Computer History) की पहली मशीन थी। इस अनूठी प्रणाली के कारण, यह सरलता और सटीकता के साथ जटिल गणना करने में सक्षम थी।

नेपियर बोन्स (Napier's Bones) प्राचीन गणना उपकरण की इमेज
नेपियर बोन्स (Napier’s Bones)

3. पास्कलाइन (Pascaline)

पास्कलाइन का अविष्कार 1642 में एक फ्रांसीसी गणितज्ञ- दार्शनिक ब्लेज़ पास्कल (Blaise Pascal) के द्वारा किया गया था। यह पहली मैकेनिकल कैलकुलेटर मशीनों में से एक थी। यह लकड़ी के बक्से की तरह दिखाई देती थी जिसके अंदर गियर और पहियों की एक श्रंखला थी। यह मशीन जोड़ और घटना करने में सक्षम थी।

पास्कलाइन (Pascaline) प्रारम्भिक गणना मशीन
पास्कलीन (Pascaline) मैकेनिकल कैलकुलेटर

4. स्टेप्ड रेकनर या लेबनिज़ व्हील (Stepped Rockoner or Leibnitz wheel)

सन् 1673 में जर्मन गणितज्ञ-दार्शनिक गॉटफ्रीड विल्हेम लीबनिट्ज़ ने “स्टेप्ड रेकनर” या “लेबनिज़ व्हील” विकसित किया था। कंप्यूटर के इतिहास (Computer History in Hindi) में इस आविष्कार का महत्वपूर्ण स्थान है, उन्होंने पास्कल के गणना उपकरण को संशोधित कर इसे digital mechanical calculator बनाया। इसमें fluted drum का प्रयोग किया गया था जिससे बड़े और जटिल गणनाओं को आसानी से और सटीकता से किया जा सकता था।

स्टेप्ड रेकनर (Stepped Reckoner) या लेबनिज़ व्हील (Leibniz Wheel) की इमेज, एक प्राचीन गणना उपकरण।
स्टेप्ड रेकनर या लेबनिज़ व्हील

5. डिफरेंस इंजन (Difference Engine)

डिफरेंस इंजन एक प्रकार का प्राचीन मैकेनिकल कंप्यूटर था जिसे 1820 के दशक की शुरुआत में चार्ल्स बैबेज के द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य अंकगणितीय गणनाओं को स्वचालित रूप से करना था। यह बड़ी संख्याओं के गणनाओं को आसानी से सॉल्व करने में सक्षम था। यह एक भाप से चलने वाली गणना करने वाली मशीन थी जिसे लाॅगरिदम टेबल जैसी संख्याओं की टेबलस् को सॉल्व करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।

डिफरेंस इंजन (Difference Engine) की इमेज, एक प्रारंभिक गणना मशीन जो गणना तालिकाओं को स्वचालित रूप से तैयार करती है।
डिफरेंस इंजन (Difference Engine)

6. एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine)

एनालिटिकल इंजन को भी चार्ल्स बैबेज के द्वारा 1820 के दशक में बनाया गया था। यह एक उन्नत मैकेनिकल कंप्यूटर था। यह कंप्यूटर का इतिहास (Computer History in Hindi) का वह कंप्यूटर था जिसके परिणाम स्वरूप आगे चलकर आधुनिक कंप्यूटर (Morden Computer) का विकास हुआ। एनालिटिकल इंजन में अलग-अलग टास्क परफॉर्म करने के लिए निर्देश (प्रोग्राम) डाले जा सकते थे इसमें मेमोरी (store), अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट (मिल), और कंट्रोल यूनिट शामिल थे।

इसमें पंच कार्ड के माध्यम से डेटा और इंस्ट्रक्शंस (Program) डाले जाते थे, जो मिल द्वारा गणितीय संचालन (Mathematical Operations) करते थे और स्टोर में संग्रहित होते थे। परिणामों को प्रिंट या पंच कार्ड पर सहेजा जा सकता था।

एनालिटिकल इंजन में निर्णय लेने की क्षमता भी थी, जिससे यह “if-then” परिस्थितियों को संभाल सकता था। हालांकि इसका पूर्ण निर्माण नहीं हो पाया, इसका डिज़ाइन कंप्यूटर विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ। एडा लवलेस, बेबेज की सहयोगी, ने इसके लिए प्रोग्राम लिखे, जिससे वह पहली कंप्यूटर प्रोग्रामर मानी जाती हैं।

एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine) की इमेज, चार्ल्स बैबेज द्वारा डिज़ाइन की गई एक प्रारंभिक कंप्यूटर मशीन।
एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine)

7. टैब्युलेटिंग मशीन (Tabulating Machine)

टैब्युलेटिंग मशीन का अविष्कार अमेरिकी सांख्यिकीविद (American statistician) हरमन होलेरिथ द्वारा 1890 के दशक में किया गया था। यह एक इलेक्ट्रोमैकेनिकल डिवाइस थी, जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर डेटा को तेजी और सटीकता से प्रोसेस करने के लिए किया जाता था।

इसमें data punch card के रूप में इनपुट होता था, जहां प्रत्येक कार्ड पर छेद विभिन्न डेटा बिंदुओं का प्रतिनिधित्व करते थे। मशीन इन कार्डों को पढ़कर और छेदों के पैटर्न के आधार पर गणना करती थी, जिससे डेटा का सारांश या टैली मिल जाता था। इस मशीन ने जनगणना जैसे बड़े डेटा संग्रहण कार्यों को सरल और तेज बना दिया और आगे चलकर IBM कंपनी के विकास का आधार बनी।

Tabulating Machine का चित्र: हरमन होलेरिथ द्वारा विकसित प्रारंभिक डेटा प्रोसेसिंग उपकरण, जिसमें पंच कार्ड और इलेक्ट्रोमैकेनिकल घटक शामिल हैं।
टैब्युलेटिंग मशीन (Tabulating Machine)

8. डिफरेंशियल एनालाइज़र (Differential Analyzer)

डिफरेंशियल एनालाइज़र एक मैकेनिकल एनालॉग कंप्यूटर था, जिसका अविष्कार 1930 के दशक में वन्नेवर बुश (Vannevar Bush) के द्वारा किया गया था। इसका मुख्य कार्य डिफरेंशियल समीकरणों (Differential Equations) को हल करना था, जो साइंस और इंजीनियरिंग में विभिन्न समस्याओं को मॉडल करने के लिए आवश्यक होते हैं।

इस मशीन में गियर्स, डिस्क, और अन्य मैकेनिकल घटक होते थे, जो गणनाओं को मैकेनिकली निष्पादित करते थे। इनपुट के रूप में डिफरेंशियल समीकरणों और प्रारंभिक शर्तों को दर्ज किया जाता था, और परिणाम एक ग्राफ या अन्य दृश्य प्रारूप में प्रदर्शित होते थे।

डिफरेंशियल एनालाइज़र ने जटिल वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग समस्याओं को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेषकर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बैलिस्टिक गणनाओं और अन्य तकनीकी कार्यों में।

Differential Analyzer: चित्र: एक प्रारंभिक एनालॉग कंप्यूटर जिसमें यांत्रिक पहियों और डिस्क का उपयोग करके जटिल गणितीय समीकरणों को हल किया जाता है।
डिफरेंशियल एनालाइज़र (Differential Analyzer)

9. मार्क 1 (Mark 1)

मार्क 1, जिसे Harvard Mark I के नाम से भी जाना जाता है, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हावर्ड ऐकेन और उनकी टीम द्वारा IBM के सहयोग से विकसित किया गया एक शुरुआती Electromechanical computer था। इसे आधिकारिक तौर पर Automatic Sequence Controlled Calculator (ASCC) के रूप में जाना जाता था और इसे 1944 में पूरा किया गया था।

मार्क 1 एक बड़े पैमाने की मशीन थी जो गणना करने के लिए इलेक्ट्रोमैकेनिकल रिले और गियर का उपयोग करती थी। इसे मुख्य रूप से वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग Computations के लिए डिज़ाइन किया गया था, जिसमें अंतर समीकरणों को हल करना, Mathematical Tables बनाना और अन्य जटिल गणनाएँ शामिल थीं। मार्क 1 ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान और कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के शुरुआती विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने भविष्य के डिजिटल कंप्यूटरों का मार्ग दर्शन किया।

Harvard Mark I का चित्र: IBM और हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित पहला प्रोग्राम योग्य इलेक्ट्रोमैकेनिकल कंप्यूटर।
मार्क 1 (Harvard Mark 1)

कंप्यूटर की 5 पीढ़ियां (Generation of Computer in Hindi)

कंप्यूटर की पांच पीढ़ियाँ उसकी तकनीकी प्रगति को दर्शाती हैं।

First Generation (1940-1955 के दशक) में कंप्यूटर बड़े और भारी होते थे, क्योंकि इनमें वैक्यूम ट्यूब्स का इस्तेमाल होता था।

Second Generation (1957-1963 के दशक) में ट्रांजिस्टर का उपयोग शुरू हुआ, जिससे कंप्यूटर छोटे और अधिक Powerful हो गए।

Third Generation 1964-1970 के दशक) में इंटीग्रेटेड सर्किट्स का इस्तेमाल होने लगा, जिससे संगणक की गति और क्षमता बढ़ी।

Fourth Generation (1970-1980 के दशक) में माइक्रोप्रोसेसर आए, जिन्होंने व्यक्तिगत संगणकों को संभव बनाया। आज की

Fifth Generation (1980 से अब तक) में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(Ai) और क्यूबिट कंप्यूटिंग जैसी नई तकनीकें शामिल हैं, जो Computer की क्षमताओं को और भी बढ़ा रही हैं।

तो आइए अब कंप्यूटर की पीढ़ियों के इतिहास Generation of Computer in Hindi को विस्तार में समझते हैं:

पहली पीढ़ी (1940-1955)

वर्ष 1940 से 1955 तक की समय-सीमा में कंप्यूटर की पीढी़ का विकास हुआ, इस समय के दौरान, कंप्यूटर को चलाने के लिए machine language और assembly language का उपयोग किया गया था। कंप्यूटर का इतिहास में इन कंप्यूटरों में Circuitry के लिए वैक्यूम ट्यूब और मेमोरी के लिए चुम्बकीय ड्रम का इस्तेमाल किया गया था।

यह मशीनें बहुत बड़ी, जटिल और महंगी थी, और इनसे बहुत ज्यादा गर्मी उत्पन्न होती थी, जिससे इन्हें लगातार ठंडा करने की जरूरत पड़ती थी। इन कंप्यूटरों में Batch Operating System और punch card का इस्तेमाल किया गया था, और Input और Output के लिए चुंबकीय टेप और पेपर टेप का उपयोग होता था।

कंप्यूटर का इतिहास में पहली पीढ़ी के कुछ मुख्य लोकप्रिय कंप्यूटरों के उदाहरण:

UNIVAC-1 (इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटग्रेटर एंड कंप्यूटर), EDVAC (इलेक्ट्रॉनिक डिस्क्रेट वेरियेबल ऑटोमैटिक कंप्यूटर), UNIVACI (यूनिवर्सल ऑटोमैटिक कंप्यूटर), IBM -701, IBM- 650.

दूसरी पीढ़ी (1957-1963)

वर्ष 1957 से 1963 के मध्य कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी का विकास हुआ। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में मुख्य रूप से ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया, जिसने वैक्यूम ट्यूब को इस रेस से बाहर कर दिया और इसकी जगह खुद ले ली, जिसके परिणाम स्वरूप कंप्यूटर साइज में अधिक छोटे, तेज और सस्ते हो गए।

इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में Primary मेमोरी के रूप में चुंबकीय डिस्क और टेप का उपयोग होता था। इनमें प्रोग्रामिंग के लिए मुख्य रूप से असेंबली भाषा और भाषाएँ जैसे COBOL और FORTRAN प्रयोग की जाती थीं। बैच प्रोसेसिंग और मल्टी-प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का भी इन कंप्यूटरों में उपयोग किया जाता था।

दूसरी पीढ़ी के कुछ मुख्य लोकप्रिय कंप्यूटरों के उदाहरण:

IBM 1620, IBM 7094, CDC 1604, CDC 3600, UNIVAC 1108

तीसरी पीढ़ी (1964-1970)

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (1964 के बीच से 1970 के बीच) में इंटीग्रेटेड सर्किट्स (ICs) का उपयोग किया गया, जिससे इनका साइज छोटा और काम करने की​ क्षमता बड़ गई। प्राथमिक मेमोरी के रूप में चुंबकीय डिस्क और टेप का उपयोग होता था।

इस पीढ़ी में High-Level की programing languages जैसे COBOL और FORTRAN का उपयोग बढ़ा। बैच प्रोसेसिंग और मल्टी-प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का भी प्रयोग हुआ, जिससे एक समय में कई कार्य संभालना संभव हो सका। इन कंप्यूटरों की विश्वसनीयता और गति में सुधार हुआ, और IBM 360 तथा PDP-8 जैसे मॉडल प्रमुख उदाहरण थे, जो व्यवसायों, सरकारी एजेंसियों और वैज्ञानिक संस्थानों में व्यापक रूप से इस्तेमाल किए गए।

तीसरी पीढ़ी के कुछ मुख्य लोकप्रिय कंप्यूटरों के उदाहरण:

IBM -360 series, Honeywell-6000 Series, PDP (Personal, Data Processor) ,IBM-360/168, TDC-316

चौथी पीढ़ी (1970-1980)

कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी का विकास 1970 के दशक की शुरुआत से 1980 के दशक के अंत तक हुआ, जिसमें माइक्रोप्रोसेसर की तकनीक अपनाई गई। इसने कंप्यूटरों को और भी छोटा और शक्तिशाली बना दिया। 1971 में इंटेल 4004 के लॉन्च के साथ माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग शुरू हुआ, जिससे पर्सनल कंप्यूटर (PC) का उदय हुआ। एप्पल II (1977) और IBM PC (1981) जैसे कंप्यूटर लोकप्रिय हो गए।

इस पीढ़ी में ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर, जैसे वर्ड प्रोसेसर्स और स्प्रेडशीट्स, भी परिष्कृत हो गए। नेटवर्किंग तकनीक, लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) और प्रारंभिक इंटरनेट का विकास हुआ। ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) ने कंप्यूटर उपयोग को और भी आसान बना दिया, जिसे एप्पल मैकिंटोश (1984) ने लोकप्रिय बनाया। इस प्रकार, चौथी पीढ़ी ने कंप्यूटिंग को व्यापक रूप से सुलभ और प्रभावी बना दिया।

चौथी पीढ़ी के कुछ मुख्य लोकप्रिय कंप्यूटरों के उदाहरण:

DEC 10, STAR 1000, PDP 11, CRAY-1 (सुपर कंप्यूटर), CRAY-X-MP (सुपर कंप्यूटर)।

पाँचवी पीढ़ी (1980 से आज तक)

पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों का विकास 1980 से लेकर आज तक जारी हैं। fifth generation के कंप्यूटरों ने VLSI (Very Large Scale Integration) तकनीक को ULSI (Ultra Large Scale Integration) से बदल दिया, जिससे माइक्रोप्रोसेसर चिप्स में दस मिलियन से अधिक electronic component समाहित करना संभव हुआ।

इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में पैरलल प्रोसेसिंग हार्डवेयर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया, जिससे वे complex टास्क को स्पीड से और कुशलता से पूरा कर सकते हैं।

प्रोग्रामिंग भाषाएँ जैसे C, C++, Java, और .Net इस पीढ़ी में प्रमुख रूप से इस्तेमाल की जाती हैं,आजो सॉफ्टवेयर विकास को अधिक शक्तिशाली और लचीला बनाती हैं। इन प्रगति ने कंप्यूटरों को अत्यधिक सक्षम और व्यापक रूप से उपयोगी बना दिया है, जिससे वे आधुनिक जीवन के हर पहलू में अनिवार्य हो गए हैं।

पाँचवी पीढ़ी के कुछ मुख्य लोकप्रिय कंप्यूटरों के उदाहरण:

डेस्कटॉप, लैपटॉप, क्रोम बुक, अल्ट्राबुक, नोटबुक।

FAQ’s: कंप्यूटर के इतिहास पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1 – दुनिया का पहला कंप्यूटर का कौन सा था?

उत्तर – एनियक (ENIAC) दुनिया का पहला कंप्यूटर था जिसे 1946 को अमेरिकी इंजीनियर्स J. Presper Eckert और John Mauchly द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया था। यह दुनिया का पहला एइलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर था।

प्रश्न 2 – भारत का पहला कंप्यूटर कब और किसने बनाया?

उत्तर – भारत में पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर “विक्रम” था, जिसे वर्ष 1969 में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) में चालू किया गया था। इसे विक्रम साराभाई द्वारा नेतृत्व किया गया था और इसका उपयोग वैज्ञानिक गणनाओं में किया गया था।

प्रश्न 3 – कंप्यूटर की पहली पीढ़ी कब शुरू हुई और इसमें कौन सी तकनीक थी?

उत्तर – पहली पीढ़ी 1940-1950 के दशक में शुरू हुई और इसमें वैक्यूम ट्यूब्स का उपयोग किया गया था।

प्रश्न 4 – कंप्यूटर की पीढ़ियों में क्या अंतर है?

उत्तर – हर पीढ़ी में नई तकनीकें आईं, जैसे वैक्यूम ट्यूब्स से ट्रांजिस्टर और फिर माइक्रोप्रोसेसर।

प्रश्न – दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में कौन सी नई तकनीक आई?

उत्तर – दूसरी पीढ़ी में ट्रांजिस्टर का उपयोग शुरू हुआ।

निष्कर्ष (Conclusion)

इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हमने कंप्यूटर का इतिहास और विकास (computer history in Hindi), उसकी पीढ़ियों (computer generation) और उससे संबंधित सामान्य प्रश्नों (FAQs) पर विस्तृत चर्चा की। कंप्यूटर तकनीक का विकास एक निरंतर प्रक्रिया है, और यह हमें भविष्य में नई और रोचक तकनीकों की ओर ले जाता है।

अगर आपके पास इस विषय पर कोई सवाल है या आप किसी और तकनीकी पहलू पर जानकारी चाहते हैं, तो कृपया कमेंट सेक्शन में अपना प्रश्न छोड़ें। हमारे साथ जुड़े रहिए और तकनीक की दुनिया की नवीनतम जानकारी प्राप्त करते रहिए। धन्यवाद!


अगर आप कंप्यूटर की बुनियादी जानकारी और उसकी कार्यप्रणाली के बारे में और जानना चाहते हैं, तो हमारी दूसरी पोस्ट ‘कंप्यूटर का परिचय’ पढ़ें। यहाँ क्लिक करें: कंप्यूटर का परिचय (Introduction to Computer in Hindi)